मेरी उलझन ना सुलझी

मेरी उलझन ना सुलझी
मैं द्वारे तिहारे आया।
विपदाऐं खुद बोई हमने
काँटों में फूल न पाया।

सुलझाने को हर उलझन
तन साथ लिए आया अपने
पर अज्ञानी मन हे प्रभु जी
कभी साथ न मेरे आया।

माया मोह की भारी गठरी
बोझ लिए भटका जीवन
ज्योति तेरे दर की पावन
दरश भी ना कर पाया ,
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