मेरो छोटो सो लड्डू गोपाल सखी री बड़ो प्यारो है,
अँखियाँ मटकाये जब सुबह जागे,
जब मैं नेहलाऊ मेरे हाथो से भागे,
बड़ी मुश्किल से करू मैं संभाल सखी री बड़ो प्यारो है
मेरो छोटो सो लड्डू गोपाल.....
भोग मैं लगाउ मेको टुकर टुकर देखे,
फल जो चड़ाउ बा को मोपे ही फेंके,
या के मोटे मोटे फूल जाए गाल सखी री बड़ो प्यारो है
मेरो छोटो सो लड्डू गोपाल.....
सारा दिन चुपके चुपके मस्ती मनावे,
शाम जो ढले मोको मुरली सुनावे,
बाकी मुरली पे जाऊ बलहार सखी री बड़ो प्यारो है
मेरो छोटो सो लड्डू गोपाल.....
नित नई लीला कर रहता ये मोन है,
श्री हरिदासी का इसके सिवा कौन है,
हुई वाकी मैं छोड़ जन जाल सखी री बड़ो प्यारो है
मेरो छोटो सो लड्डू गोपाल.....
हो मेरे लाडू गोपाल ने कमाल कर दियां,
भाव भक्ति से मोको माला मॉल कर दियां,