मैं जबसे जुड़ा हूँ चौखट से तेरी
ये दुनिया मुझे श्याम भाती नहीं है
तुम्हे पाके जाना ये मैंने कन्हैया
सिवा आपके कोई साथी नहीं है
मैं जबसे जुड़ा हूँ ............
अँधेरी राहों में चलता रहा मैं मुझे मंज़िलों की खबर ही कहाँ थी
जिस रास्टर पर मिलान हो हमारा मालूम मुझको वो डगर ही कहाँ थी
थामी जो तूने मेरी कलाई फिकर रास्तों की सताती नहीं है
तुम्हे पाके जाना ये मैंने कन्हैया
सिवा आपके कोई साथी नहीं है
मैं जबसे जुड़ा हूँ ............
कैसे चलाता जीवन का बेडा पतवार मोहन ये टूटी हुई थी
सर पे खड़ा था बदल गमो का हिम्मत की डोरी ये छूटी हुई थी
संभाली जो तूने ये नैया कन्हैया भंवर ज़िन्दगी की डराती नहीं है
तुम्हे पाके जाना ये मैंने कन्हैया
सिवा आपके कोई साथी नहीं है
मैं जबसे जुड़ा हूँ ............
खा खा के ठोकर ज़माने की मैंने कदमो में तेरे ये सर को झुकाया
अपनी शरण में लिया जो तरुण को जीने का असली मज़ा श्याम आया
तुमने निभाई वो प्रीत कन्हैया किसी से निभाई ये जाती नहीं है
तुम्हे पाके जाना ये मैंने कन्हैया
सिवा आपके कोई साथी नहीं है
मैं जबसे जुड़ा हूँ ............