एह मेरे मन तू चल मोहन के पास,
ये माया तो आणि जानी किस से करे तू आस,
एह मेरे मन तू चल मोहन के पास,
हरी है सहारे हरी है हमारे,
हरी है पालनहार,
क्यों तू विचारे क्यों ही तू हारे,
हरी में रख बस आस,
एह मेरे मन तू चल मोहन के पास,
कठिन है रहे हरी के भजन की भटकाये हर बार,
धीरज रख के सिमरन करले कभी तो सुने गे अरदास,
एह मेरे मन तू चल मोहन के पास,
साथी ना लाये साथ न जाए पल भर रेन बसेरा,
कफ़न में कोई जेब नहीं है,
फिर कैसी अभिलास,
एह मेरे मन तू चल मोहन के पास,