सखी आये न, सखी आये न, सखी आये न
सखी आये न, हो सखी आये ना हमारो घनश्याम महीना लागो सावन को |....२
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गोकुल कि सब गलिया सूनी तुम बिन कृष्ण मुरारी,
लौट कन्हैया कब आओगे,
लौट कन्हैया कब आओगे, सखिया रो राइ साआ आ आ री,
हो तेरी याद में, हो तेरी याद में हो राइ बेखाने,
महीना लागो सावन को सखी आये न....
वृन्धावन की कुञ्ज गालियन में रही उदासी छाई,
बिलक बिलक कर राधा रोये कोई न धीर बंधाई,
झुला डाले है कदम की धार महिना लगे सावन को,
सखी आये न, सखी आये न, सखी आये न......
मथुरा में जा वसे कन्हाई कुब्जा के करजई,
भिनक भिनक के राधा रोवे,
कोई न धीर बंधाई,
बडो छालियाँ है नन्द को लाल,
महिना लगे सावन को,
सखी आये न, सखी आये न, सखी आये न......