देव गजानन संकट हारन

देव गजानन संकट हारन,
रिद्धि सीधी के है भण्डार,
शरण तिहारी आये है,

सोने को तेरे छतर सोहे मुकट की शोभा न्यारी है,
माथे पर तेरे तिलक सोहे कुण्डल चमके भारी है,
देव गजानन संकट हारन...

सूंड निराला तेरे सोहे,
हाथ में वर्षा भारी है,
तन पर रेशमी विस्तर सोहे,
गले में हार हज़ारी है,
देव गजानन संकट हारन.....

योग ऋषि और ज्ञानिधन को उधर करो,
जो जन तेरा ध्यान धरे है उनको भव से पार करे,
देव गजानन संकट हारन ......

श्रेणी
download bhajan lyrics (1092 downloads)