चमकने लगी मेरी तक़दीर है,
जब से तेरे दर पे आने लगा,
दर दर भटकना भी छोड़ दिया,
मैं बारस की धोक लगाने लगा हु,
जीने की रहे न आसान होती,
अगर थामने तेरी बाहे ना होती,
निकला मुझे हर मुसीबत से श्याम,
मैं जोर तुम्ही पे चलाने लगा हु,
चमकने लगी मेरी तक़दीर है.....
हकदार अपनी किरपा का बनाया,
बाबा ने अपनी नजर में चढ़ाया,
नजरे उतरो खुद की ही मैं,
अपना ही भाग्ये सिरहाने लगा हु,
चमकने लगी मेरी तक़दीर है
इन्हे हर तरह आजमा के भी देखा,
मुसीबत में इनको भुला के भी देखा,
मेरी तो सारी चिंता मिटि,
चैन की बंसी बजाने लगा हु,
चमकने लगी मेरी तक़दीर है,
दस्तूर बाबा का है ये पुराना,
शरण आने वालो को गले से लगाना,
तभी से पवन ये समज आ गई,
रोज दिवाली मनाने लगा,
चमकने लगी मेरी तक़दीर है