माँ मनसा देवी दे चरनी सूखा दा सागर वगे

माँ मनसा देवी दे चरनी सूखा दा  सागर वगे,
चन तारियाँ रोशन किता मंदिर सोना सजे,
माँ मनसा देवी दे चरनी सूखा सा सागर वगे,

रेहन खजाने मैया भर भर झोलियाँ भंडे,
भगत वि चरना दे विच बैठे गल पा चोले ठन्डे,
आंदा जांदा हर कोई बोले खूब जयकारे लगे,
माँ मनसा देवी दे चरनी सूखा दा सागर वगे,

रेहमत बरसे चार चुफेरे बज दिया ने शहनाइयां.
दर ते लगया मेला सारे माँ न दें वदाईयाँ,
वज दे ढोल ते चिमटे छेने तड तड ताड़ी बजे,
माँ मनसा देवी दे चरनी सूखा सा सागर वगे,

मस्ती दे विच गरेवाल भी माँ दिया भेटा गावे,
शेल्ली जिसते मेहर मैया दी ओहि दर्शन पावे,
रेल मिल भगता जगन रचाया भवन प्यारा सजे,
माँ मनसा देवी दे चरनी सूखा सा सागर वगे,
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