तूने जितना दिया है साईंनाथ,
औकात मेरी इतनी ना थी,
तूने रखली ओ देवा मेरी बात बिसाथ मेरी इतनी न थी,
मेरी हर साँस तुझको कहे शुक्रियां,
तूने भुजने दिया न सबर का दीया,
मेरी आँखों में बाबा नमी न रही,
अब किसी चीज की भी कमी न रही,
जितनी रेहमत की है बरसात औकात मेरी इतनी न थी,
तूने जितना दिया साईंनाथ.......
मैंने मन के ना फेरे तेरे नाम के,
फिर भी रख ली कलाई मेरी थाम के,
बनके मोहन कभी रूप में राम के सारे संधान दिए तूने आराम के,
सिर पे रखना सदा अपना हाथ औकात मेरी इतनी न थी,
तूने जितना दिया साईंनाथ.......
तेरे दर से सिर ये मेरा जुड़ गया,
बद नसीबी का पंक्षी कही उड़ गया,
चार आंसू बहाये तेरे सामने तेरी रेहमत का दरिया इधर मूड गया,
मैंने मन चाही पा ली मुराद औकात मेरी इतनी ना थी,
तूने जितना दिया साईंनाथ...........