माँवा ठण्डीयाँ छाँवा
आखण तती हवा ना लगे
मै लाल तो सदके जाँवा
माँवा ठण्डीयाँ छाँवा
सदा भला बचिया दा चाहवे दुःख सेह के ओ सुख पोहनचावे,
दिगड़े तेहंदे मूरख न भी दसदि सिध्दियां राहवा,
माँवा ठण्डीयाँ छाँवा ....
माँ दी सेवा रब दी पूजा माँ ही रब दा नाम है दूजा,
माँ दा द्वारा छड़ के पगले क्यों भटके होर थावा,
माँवा ठण्डीयाँ छाँवा......
माँ ऋण कोई ला नहीं सकदा कोई उपकार भुला नहीं सकदा,
स्वर्ग कीह्नु कहन्दे ओ माँ दे चरना दा परषावा,
माँवा ठण्डीयाँ छाँवा......