आया शरण ठोकरें जग की खा के,
हटूंगा तभी तेरी दया दृष्टि पाके,
तू ने भुलाया था मैं नहीं आया,
मेरे मन ने चाहा तो चरणों में आया,
बड़ा दुःख पाया हु मैं तुझको भुला के,
आया शरण ठोकरें जग की खा के,
यदि लाज आती हो पलके उठा लो,
चरण में पड़ा है बालक हिवड़े लगा लो,
हाथ फिरादो सिर पे अपना बना के,
आया शरण ठोकरें जग की खा के,
ये तन तुम्हारा है जैसे नचा लो,
चाहे गिरा दो चाहे उठा लो,
चाहे मेरे प्राण लेलो गले को दबा के,
आया शरण ठोकरें जग की खा के,