ओ मइयां जी किरपा करो मेरे अवगुण चित न धरो,
ओ मइया जी विनती सुनो मेरी विपदाये दूर करो,
हाथो में पतवार धरो बीच भवर से पार करो,
ओ मइयां जी किरपा करो ...
इक तेरा ही आसार है तू करदे एक इशारा,
जो तू चाहे पलट जाये समय की बहती धारा,
उल्जी लड़ियाँ खोल दे बिखरी कड़ियाँ खोल दे,
मुझपे माँ उपकार करो मेरी अर्ज पे ध्यान धरो,
ओ मइया जी किरपा करो.......
शरण तेरी अर्ज मेरी हास की ज्योत जली है,
किरपा तेरी हुई जब भी तो हर मुश्किल टली है,
ये साथ न छुटे आये संकट शन में हरो,
अंधेरो को दूर करो,
ओ मैया जी विनती सुनो......