दर दर भटकता फिरा

रूतबा,
रूतबा ये तेरे दर को मेरे सर से मिला है,
हालाॅंकी मेरा सर भी तेरे दर से मिला है,
औरों को जो मिला है माँ,
वो मुकद्दर से मिला है,
पर मुझे तो मेरा मुकद्दर भी तेरे दर से मिला है,
दर दर भटकता फिरा, ठोकर बड़ी खाया हूं,
दर्शन के लिए मैय्या मैं तेरे द्वारे आया हूं.....

जग ने सताया जहां ने रुलाया,
तुम मेरा संकट हरो,
दर से सवाली न जायेगा खाली,
तुम मेरी झोली भरो,
है नही कोई जग में हमारा तुम्हारे सिवा,
दर्शन के लिए मैय्या मैं तेरे द्वारे आया हूं.....

जब जब पुकारा दे दिया सहारा,
फरियाद मेरी पढी,
चली आओ मैय्या भवर देख कर के,
मेरी नाव तूफां फसी,
लगन मेरी तुमसे लगी है ये मैय्या सुनो,
दर्शन के लिए मैय्या मैं तेरे द्वारे आया हूं.....

तेरे चरण में रहूँगा हमेशा सुनलो ये अर्जी मेरी,
सुन लो ये अर्जी मेरी,
दर का भिखारी रखो या उठा दो,
आगे है मर्जी तेरी,
नही तो आज चौखट पे तेरी मैं मर जाऊंगा,
दर्शन के लिए मैय्या मैं तेरे द्वारे आया हूं......

तुम ना करोगी तो करम कौन करेगा,
दमन है मेरा खाली इसे कौन भरेगा,
ठुकरा दिया है जग ने मुझे तेरा सहारा,
आजाओ मेरी मैय्या मैने तुमको पुकारा,
मैंने तुमको पुकारा.....

पूजा न जानु सेवा न जानु,
कैसे मनाऊं तुम्हे,
प्रेमी दीवाना हुआ आज पागल,
कैसे बताऊं तुम्हे,
विजय आज करना यही है मेरी आरज़ू,
दर्शन के लिए मैय्या मैं तेरे द्वारे आया हूं......
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