माता तेरे चरणों की रज को माथे से लगाया है,
सुख-दुख से परे है तूँ माता, तेरी छवि को मन में बसाया है,
जीवन उजियारा कर दे "माँ" घोर अंधेरा छाया है,
तूँ दया नज़र से देख मुझे, बालक तेरा घबराया है,
कोई अपना नजर आता ही नहीं, हर कोई लगता पराया है,
जिसे शक्ति तेरी मिली नहीं, उसका देता ना साथ भी साया है,
जब "माँ" कहकर पुकारा तुझको, अपने संग ही पाया है,
अब तेरी ममता की छांव में हूँ मईया, मन मेरा हर्षाया है,
माँ दुर्गा, काली, पार्वती, वैष्णवी, लक्ष्मी, सरस्वती,
सब रूप तेरे ही हैं माता, तूँ जगजननी महामाया है,
सुंदरम