कमाल करती माँ कमाल करती,
जो भी आये इसके द्वारे कर दे उसके वारे न्यारे,
बिन मांगे देखो माला माल करती,
कमाल करती माँ कमाल करती,
चमकाती भक्तो की सोइ तकदीर को,
पल में बदल देती हाथो की लकीर को,.
इस की कलम ने जो लिख डाला,
ना कोई उसका काटने वाला,
मियां दुखो के दूर जन जाल करती,
कमाल करती माँ कमाल करती,
भगतो की भगति का देती ये फल है.,
होनी को भी ये देती बदल है,
अपने भगता की परशानी काटे देखो मात भवानी,
हल मुश्किल से मुश्किल सवाल करती,
कमाल करती माँ कमाल करती,
पत्थर भी ये तो फूल खिला दे रंक को राजा ये पल में बना दे.
सब कुछ है मैया बस में करती लश्क ये अज़ब करिश्मे,
काम मेरी मैया बेमिसाल करती,
कमाल करती माँ कमाल करती,