मैं तो अमर चुनड़ी ओढ़ूँ

मीरा जनमी मेड़ते, वा परणाई चित्तोड़,
राम भजन प्रताप सूं सकल श्रृष्टि शिर मोड़,
जगत में सारा जाणी आगे भई अनेक,
कई बायां कई राणी,
जिनकी रीत सगराम कहे है बैकुण्ठा ठौड़,

धरती माता नो वालो पैहरू घाघरो,
में तो अमर, चुनड़ी ओढ़ूँ,
में तो संतो रे भेळी रहवू,
में तो बाबो रे भेळी रहवू,
मैं आदि पुरुष री चेली जी।

चाँद सूरज मारे आंगणे लगाऊ,
में तो झरणा रो झांझर पहरु,
मैं तो संतो रे भेळी रेवु ,
मैं तो बाबो रे भेळी रेवू,
मैं आदि पुरुष री चेली जी।

ज्ञानी ध्यानी रे, बगल में राखूं,
हनुमान वालो, कांकण पहरुं,
मैं तो संतो रे भेळी रेवु ,
मैं तो बाबो रे भेळी रेवू,
मैं आदि पुरुष री चेली जी।
नवलख तारा, म्हारे आंगणे लगाऊँ,
में तो चरना रो ,जाँजर पहरुं,
मैं तो संतो रे भेळी रेवु ,
मैं तो बाबो रे भेळी रेवू,
मैं आदि पुरुष री चेली जी।

पारस ने सरहद कर राखूं,
में तो डूंगर डोडी में खेलूं,
मैं तो संतो रे भेळी रहवू,
मैं तो बाबो रे भेळी रेवू,
मैं आदि पुरुष री चेली जी।

नवकाले नाग म्हारे चोटले बंधाऊ,
जद म्हारो माथो गुथाऊँ,
मैं तो संतो रे भेळी रेवु ,
मैं तो बाबो रे भेळी रेवू,
मैं आदि पुरुष री चेली जी

दोई कर जोड़ मीरा बाई बोले,
में तो गुण गोविन्द रा गाउँ,
मैं तो संतो रे भेळी रेवु ,
मैं तो बाबो रे भेळी रेवू,
मैं आदि पुरुष री चेली जी
श्रेणी
download bhajan lyrics (457 downloads)