धन्य तुम्हरा गुरुदेव जी मुझपर जो उपकार किया,
मेरी ऊँगली पकड़ कर तूने मुझको भव से पार किया,
धन्य तुम्हरा गुरुदेव ........
काम क्रोध मद लोभ में फस कर मैंने जीवन नर्क किया,
अपनी शरण में लेकर तुमने मेरा जीवन फ़र्ज़ किया,
पत्थर था पारस की तरह तुमने मुझको सवार दिया,
धन्य तुम्हरा गुरुदेव ......
मेरा हर दुःख सुख में बदला केवल आप की रेहमत है,
मेरे इस सारे जीवन में केवल आप का ही हक़ है,
तुमने मेरे इस जीवन का हर सपना साकार किया,
धन्य तुम्हरा गुरुदेव ........
धर्म अधर्म की मंध को समजा सतये असताये को जाना है,
आप की किरपा से इस जग के सार को भी पहचाना है,
आप ने बच्चो के जीवन को जीने का अधार दिया,
धन्य तुम्हरा गुरुदेव .......