गई किस्मत सवर श्याम आकर इधर,
अब मैं जाऊ किधर जब इधर आ गया,
बीता दिन मस्ती में रात बीती भली,
नाम तेरे का ऐसा नशा शाह गया,
दुनिया वालो ने जब भी अकेला किया मैंने पाया है सहारा तेरा,
मुझको परवाह नहीं अब ज़माने की कुछ,
साथ हारे का जब मेरे साथ आ गया,
गई किस्मत सवर
खुभिया है बड़ी तेरे दरबार की क्या गिनाओ मैं ना ये जुबा कह सके,
जो गया खाटू नगरी तेरा हो गया,
प्यार तेरा उसे इस कदर भा गया,
गई किस्मत सवर
मेरा घर बार संसार खुशीयो से यु सँवारे तूने ऐसा है चहका दिया.
महकी बगियन में आंगन भरा कर दिया,
दर से चाहा है जो भी मैं पा गया
गई किस्मत सवर
आप का शुक्रिया मुझको अपना लिया,
अपने चरणों की भगती सदा दीजिये,
श्याम शब्दों की जो भकशी मुझे,
दास दीपक बना कर भजन गा गया
गई किस्मत सवर