चलो रे चलो चले चुलकाना धाम,
यहाँ के कण कण में है वस्ते मेरे बाबा श्याम,
याहा प्रगटे थे शीश के दानी वो है खाटू धाम,
शीश दिया यहाँ दान कृष्ण को वो चुलकाना धाम,
चलो चले चुलकाना धाम..
पते पते से मिलता है शक्ति का अनुमान,
श्याम ने पते भींदे जिसके यहाँ वो वृक्ष महान,
चलो चले चुलकाना धाम...
मन चाही यहाँ मिली मुरादे है बड़ा सिद्ध स्थान,
मनत का धागा इक बांधो कुंड में कर इशनान,
चलो चले चुलकाना धाम
सच्चे मन से नाम तू जपले जय जय बाबा श्याम,
श्रद्धा भाव जो मन में रखे बन जाये सब काम,
चलो चले चुलकाना धाम.....
दीपक मांगे न बाबा कुछ दुनिया के सामान,
इक तमना है चरणों में हो जीवन की शाम,
चलो चले चुलकाना धाम