दिल दीवाना ना जाने कब हो गया,
जबसे तुमको देखा में तो खो गया,
में खो गया कुछ हो गया कुछ हो गया मेरे श्याम.....
हारे का तू साथी है मोरछडी तेरे हाथ है,
जग से है जो हार गया उसका तुमे साथ दिया,
हर पल तेरे ख्वाब आने लगा ये कैसा नशा छाने लगा,
कुछ हो गया कुछ खो गया....
ग्यारस की ये रात है भजनों की बरसात है,
गाये एसे आज हम भक्त नाचे झूम कर,
ये सिलसिला यूँ ही चले दर पे तेरे हम आते रहे हो,
कुछ हो गया कुछ खो गया....
बिखरु इसे आज में इस चोखट पर टूट कर,
हाय एसे फ़र्स पे सीसा गिरे टूट कर,
मोहित कहे क्या हो गया ये दिल तेरा दीवाना हो गया,
कुछ हो गया कुछ खो गया...