ओ साई शिरडी वाले ओ साई,
अगर फुर्सत मिले जरा सी तो घर मेरे आना,
ओ साई शिरडी वाले ओ साई,
सोमवार के दिन तुम शिवशंकर रूप में आना,
जता में लेकर गंगा तुम हम दर्श दिखाना,
मंगल के दिन आना तो गणपति रूप में आना,
संग लेके रिद्धि सीधी सब विघ्न मेरे हर जाना,
ओ साई शिरडी वाले ओ साई,
बुध वार के दिन तुम श्री ब्रह्मा रूप में आना,
भाग्ये विधयता बन के मेरे बिगड़े भाग्ये बनाना,
अगर गुरुवार को आना श्री सतगुरु रूप में आना,
तुम हाथ पकड़ के मेरा मुझे ज्ञान राह दिखलाना,
ओ साई शिरडी वाले ओ साई,
शुक्र वार के दिन तुम माता के रूप में आना,
ममता की देके छैया मेरे शीश हाथ दर जाना,
अगर शनिवार को आना श्री हनुमत रूप में आना,
भय संकट मेरे सब हर के श्री राम से मुझे मिलाना,
शनिदेव से मुझे मिलाना,
ओ साई शिरडी वाले ओ साई,
रविवार के दिन तुम सूरए देव बन आना,
अज्ञान अँधेरा हर के तुम ज्ञान की ज्योति जलाना,
हाथ जोड़ करू मैं विनती ये अर्ज नहीं ठुकराना,
कोई इक दिवस चुन लेना पर साई जरूर आना,
ओ साई शिरडी वाले ओ साई,