भुला ले बाबा शिरडी धाम,
काहे हुई न किरपा अब तक,
हम पे साई राम भुला ले बाबा शिरडी धाम,
गन अवगुण हम में अति बारी,
शमा करो हे शरण तिहारी,
माना लायक नहीं हम तेरे लेलो फिर भी सुह्दी हमारी,
ना जाने किस मोड़ पे होगी इस जीवन की शाम,
भुला ले बाबा शिरडी धाम,
दया करो दीनो पे दाता रखने दो चरणों में माथा,
पतितो की भी पवन करदो शिरडी स्वामी भाग्यभिदाता,
काट के बंधन जनम जनम के दो बाबा आराम,
भुला ले बाबा शिरडी धाम,
तुमसे नहीं कोई हितकार,
दया सिंधु हे किरपा कारी,
बिन कारण ही होते दयालु करणु की रेहमत बाहरी,
उची है महिमा दुनिया में बड़ा है बाबा नाम,
भुला ले बाबा शिरडी धाम,