जिसने भी मेरे श्याम को दिल से सजा दिया

जिसने भी मेरे श्याम को दिल से सजा दिया,
जीवन को उसके श्याम ने सूंदर बना दिया,
जिसने भी मेरे श्याम को दिल से सजा दिया,

सिर पे पगड़ी श्याम पे भगतो की आन है,
इज्जत अपने भगतो की बाबा की शान है,
उस पड़गी की आन को जिसने बड़ा दिया,
जिसने भी मेरे श्याम को दिल से सजा दिया

बागा घेर घुमेर जो बाबा ने लपेटा है,
उस घेरे ने भगतो के दर्दो को समेटा है ,
दिल के दुखड़े श्याम को जिस ने सुना दिया,
जिसने भी मेरे श्याम को दिल से सजा दिया,

कान में कुण्डल बाबा के यु ही न चमकता है,
उस कुण्डल में भगतो का विश्वाश झलकता है,
श्री चरणों में शीश को जिसने झुका दिया,
जिसने भी मेरे श्याम को दिल से सजा दिया,

फागण का मेला बाबा युही न लगता है,
शुभम रूपम उस मेले में विशडो को मिलता है,
केसरियां नि शान वो जिसने उठा लिया,
जिसने भी मेरे श्याम को दिल से सजा दिया

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