आँखों को इंतज़ार है सरकार आपका,
ना जाने होगा कब हमें दीदार आपका,
आया हूँ तेरे द्वार पे मुझको संभालिये,
दर्शन की आस दिल में है, खली ना टालिए.
घबरा के दम ना तोड़ दे बीमार आपका,
सजदा कबूल हो न हो, दर पे पड़ा रहूँ,
मैं तो इस दरबार के सन्मुख खड़ा रहूँ,
जाऊं कहाँ मैं छोड़ के दरबार आपका,
दासी की है ये आरज़ू इक बार देख ले,
डाली से फूल टूट कर शायद न फिर खिले,
इक रोज़ छोड़ जाएंगे ये संसार आपका,
(MANISH ANEJA JI)
(MAST BANDHU)