साई की मन भावनी मूरत मन में है समाई,
साई धुन की एक अजीब दीवानगी सी छाई,
मैं हुआ दीवाना हो लोगो हुआ दीवाना,
मैं साई का दीवाना मैं बाबा का दीवाना,
साई नैनो में झाको तो सदा झलक ता प्यार है,
साई के हाथो में देखो पतला ये संसार है,
अब तो साई दवार को छोड़ और कही ना जाना,
साई नाम की माला का मैं बन जाओ इक दाना,
मैं हुआ दीवाना हो लोगो हुआ दीवाना,
घर में ना आंगन में ये दिल लगता है न गुलशन में,
मित्रो में परिवार में न साथी के संग मधुवन,
तू ही रहीम तू ही राम तू ही मेरा कान्हा,
क्यों जाऊ मैं मथुरा काशी क्यों जाऊ मदीना,
मैं हुआ दीवाना हो लोगो हुआ दीवाना,