वो काला एक बांसुरी वाला,
सुध बिसरा गया मोरी रे,
माखन चोर वो नन्द किशोर जो,
कर गया मन की चोरी रे,
वो काला एक बांसुरी वाला.....
पनघट पे मोरी बाइयाँ मरोड़ी,
मैं बोली तो मेरी मटकी फोड़ी,
पइयाँ पडूँ करूँ बिनती मैं पर,
माने ना वो एक मोरी रे,
वो काला एक बांसुरी वाला,
सुध बिसरा गया मोरे रे...........
छिप गया फिर एक तान सुना के,
कहाँ गया एक बाण चला के,
गोलकुल ढूंढा मैंने मथुरा ढूंढी,
कोई नगरिया ना छोड़ी रे,
वो काला एक बांसुरी वाला......