ये दुनिया बनाना और बनाके फिर चलाना बस उसी का काम है,
बड़ा जबरदस्त उनका इंतजाम है,
रात को ही रात पड़े प्रभात को प्रभत श्याम ही को श्याम है,
बड़ा जबरदस्त उसका इंतजाम है,
जल पे है थल और थल पे आसमान है,
फिर भी एक दूजे पे ना भोज के समान है,
गजब का ये यहां है,बिन खम्बे का मकान है,
यहा का एक एक कण इसी का गुलाम है,
बड़ा जबरदस्त उसका इंतजाम है,
सूर्य चन्दर तारे अपने धर्म से न टल सके,
इंसान की मिजाल क्या जो उनका कर्म बदल सके,
इक फूल भी खिले नहीं इक पता भी हिले नहीं,
सारे जहान उसके हाथ में लगाम है,
बड़ा जबरदस्त उसका इंतजाम है,