चली जा रही है उम्र धीरे धीरे,
पल पल आठों पहर धीरे धीरे।
बचपन भी जाए, जवान भी जाए,
बुढापा का होगा असर धीरे धीरे॥
तेरे हाथ पावों में दम ना रहेगा,
झुकेगी तुम्हारी कमर धीरे धीरे॥
शिथल अंग होंगे सब इकदिन तुम्हारे,
फिर मंद होगी नज़र धीरे धीरे॥
बुराई से मन को तू अपने हटाले,
सुधर जाए तेरा जीवन धीरे धीरे॥