सुनो श्याम सूंदर छमा मांगता हु,
हुई जो खतायें उन्हें मान ता हु
गलती के पुतले इंसान है हम,
भले है भूरे है तेरी संतान है हम,
दया के हो सागर मैं जानता हु,
हुई जो खतायें उन्हें मान ता हु
कश्ती को मेरी साहिल नहीं है,
तुम्हारे चरण के हम काबिल नहीं है,
काबिल बनाओ गे ये मांगता हु,
हुई जो खतायें उन्हें मान ता हु
सूरज की गलती को दिल पे ना लेना,
सजा जो भी चाहो श्याम हमे तुम देना,
करुणा निधि हो तुम पहचानता हु,
हुई जो खतायें उन्हें मान ता हु