ओ सँवारे,ओ साँवरे ओ साँवरे,,,,
बिछड़ के तुमसे एक पल को भी ना जी सकेंगें कभी
ओ साँवरे....
तू ही मेरी सांसे,तू ही मेरी धड़कन
तेरे लिए ही तो,मैंने लिया है जनम
मेरी नस नस में,बस तेरी खुशबू
कैसे भला तूझको, फिर मैं जुदा कह दूं
ओ साँवरे,,
हाथ तेरे सौंपी, इस जीवन की डोर
तेरी रज़ा पर है,ले जा मुझे जिस और
तुमने दिया मुझको,मोहन,इतना प्यार
छोड़ा ना जाएगा,अब तेरा दरबार
ओ साँवरे
तू ही मेरा रस्ता,तू ही मेरी मंज़िल
तेरे बिना जीना, अब है बहुत मुश्किल
शर्मा को अपनी शरण,रखना पड़ेगा अब
तेरे भरोसे पर,छोड़ दिया है सब
ओ साँवरे,,,,