माँ दिया ज्योता च वसदा रूप माई दा

माँ दिया ज्योता च वसदा रूप माई दा,
जगमग जगमग ज्योत जो वाला रूप निराला माई दा,
माँ दिया ज्योता च वसदा रूप माई दा,

सब तो पेहला राजे अकबर ज्योता न अजमाया,
कह के झूठा ज्योता ऊपर पानी उस ने पाया,
पानी जो जो पेंदा जावे ज्योति तो तो ऊपर आवे,
माँ दिया ज्योता च वसदा रूप माई दा,

फिर न मने राजा तविया ज्योता ऊपर पाइयाँ,
विच पला दे चीर के तविया ज्योता ऊपर आइया,
राजा भूल दी माफ़ी मंगी छत्तर चढ़ाया पैरो नंगी,
माँ दिया ज्योता च वसदा रूप माई दा,

सूरज ऊठे चमके मारे ज्योता दा लिश्कारा,
मनवीर तेरे गुण गावे तेरा भगत प्यारा,
तेरी जो भी महिमा गावे उहनूं थोड़ कोई ना आवे,
माँ दिया ज्योता च वसदा रूप माई दा,
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