धरती रोई अम्बर रोया रोये चाँद सितारे,
मों तमाशा देख बेटी का विनती करते सारे.
मत बेटी मारो मत बेटी मारो अपनी सोच सुधारो,
जिस भारत माँ की लाज बचा कर वीरो ने दिखलाई,
उसे भारत माँ की लाज है देखो खतरे में है आई,
तडपउठा है देश आज ये बेटी को तुम तारो,
मत बेटी मारो मत बेटी मारो अपनी सोच सुधारो,
इक तरफ तो बेटी देखो घर घर पूजी जाती ,
दूजी तरफ ये बेटी देखो पल पल नोची जाती है,
दूध पिया है तुम ने जिसका उस माँ को पहचानो ,
मत बेटी मारो मत बेटी मारो अपनी सोच सुधारो,
अगोष का लावा कूद पड़ा और न डरे गी,
जुल्म सितम हम जालिम का और न सहेगी ,