मेरे बाला जी महाराज,
तेरी हवा गगन में घूम रही,
तीन लोक में वासा तेरा धरती से पातळ,
लांग दियां था सागर तने मार के ने छलांग,
मेरे पूरन करियो काज,
तेरी हवा गगन में घूम रही,
मेहंदीपुर में बाला जी की शोभा बड़ी न्यारी से,
भक्तो के तू कष्ट मिटावे सबका पालनहारी है,
मेरे सोये जगाओ भाग तेरी हवा गगन में घूम रही,
जो भी तेरी ज्योत जगावे करता बेडा पार,
जो भी तेरी पड़े चालीसा घर में मौज बहार,
सुनेंदर फौजी की रख लाज,
तेरी हवा गगन में घूम रही,