जगमग हो रही हिमालये में फेल रहा था उज्याला,
पहाड़ उठा के चल पड़ा वो माँ अंजनी का लाला,
पवन वेग से चाले पड़े वो दमन में विश्वाश,
अवदपूरी में पहरा दे रहे दसरथ नन्द खास,
असुर समज के भरत लाल ने छोड़ा पर्वत बिन वाला,
पहाड़ उठा के चल पड़ा वो माँ अंजनी का लाला,
राम समज के अंजनी सूत ने झट के किया परनाम,
कौन कहा से आया भाई तू कैसे जाने राम,
सारी बात समज गये हनुमत सारा दियां हवाला,
पहाड़ उठा के चल पड़ा वो माँ अंजनी का लाला,
होश हवास समज कर हनुमत फिर से भरी उड़ान,
श्री राम का काज करू मेरे वेशक जाए प्राण,
राम चरण में अर्पण करदु जीवन अपना मत वाला,
पहाड़ उठा के चल पड़ा वो माँ अंजनी का लाला,
पूर्व दिशा में लाली देखि श्री राम गबराये,
सब के चेहरे खिल उठे जब बजरंगी भुटटी ले आये,
पवन सूत गुण गान करे तेरा सुरेश कुमार नैना वाला,
पहाड़ उठा के चल पड़ा वो माँ अंजनी का लाला,