झोली तो भर गयी है़

झोली तो भर गई है नियत भरी नहीं है,
बेसबर बंदे तेरी तृष्णा  मिटि नहीं है,
झोली तो भर गई है नियत भरी नहीं है

जो मिल गया है उसपर तुझको कहा सबर है,
जो नहीं मिला है उस पर हर पल तेरी नजर है,
तेरी कामनाओ का तो कोई छोर ही नहीं है,
झोली तो भर गई है नियत भरी नहीं है

तेरी ख्वाहिशें हज़ारो खड़ी अपने सिर उठा कर,
किस के हुए है पुरे सपने सभी यहाँ पर,
सपने बड़े बड़े है बड़ी ज़िंदगी नहीं है,
झोली तो भर गई है नियत भरी नहीं है

मालिक ने तुझको भेजा यहाँ देवता बना कर,
तू उसी की रोशनी है वो तुझी में है उजागर,
मनुष्य जनम ये तुझको यूं ही मिला नहीं है,
झोली तो भर गई है नियत भरी नहीं है

हरी नाम का रतन धन जिसको भी मिल गया है,
पतझड़ सा उसका जीवन गुलशन सा खिल गया,
दो जहां की बादशाही उस से बड़ी नहीं है,
झोली तो भर गई है नियत भरी नहीं है

गायक व लेखक ....सुन्दरलाल "त्यागी"
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