प्रथमहि घुटुरन चलत कन्हैया:
प्रथमहि घुटुरन चलत कन्हैया,
मोर मुकुट पीत झगुली सोहत,
कनक पैजनी बाजत पइयाँ,
प्रथमहि घुटुरन चलत कन्हैया-------
गिरत परत फिरि पुलकित देखत,
सीखत श्याम अब
चलन बकईयाँ,
प्रथमहि घुटुरन चलत कन्हैया------
निरखि निरखि सुत नन्द यशोदा,
ऊर आनंदित लेत बलैया,
प्रथमहि घुटुरन चलत कन्हैया------
सिसु विनोद हरि करत अगनवां,
नन्द भवन खूब बजत बधईया,
प्रथमहि घुटुरन चलत कन्हैया--------।।
रचना आभार: ज्योति नारायण पाठक
वाराणसी