ऐरी मैया मैं क्या करूँ,
मोहे राधा छल गई रे,
आज मोहे राधा छल गई रे,
मैं बेठो पीपल की छैयाँ,
पास में चर रही मोरी गईयाँ,
बातन में मोसे बंसी लेके साफ़ निकल गई रे,
आज मोहे राधा छल गई रे,
मैं भोलो वो चतुर गुजरियां,
पकड़ के ले गई मोरी अन्गुरियां,
तन छा पे नाच नचा के घ्याल कर गई रे,
आज मोहे राधा छल गई रे,
मैया मैं बरसाने जाऊ,
वहा से अपनी मुरलियां ले आऊ,
बिन बंसी के मैया ब्रिज में गईयाँ अड़ गई रे,
आज मोहे राधा छल गई रे,