माता यशोदा दुंड रही छुपे हो कहा पे माखन चोर छुपे हो कहा पे माखन चोर,
यही बस सब से पूछ रही छुपे हो कहा पे नंदकिशोर,
छुप कर कान्हा माखन खाये माता यशोदा को नजर न आये,
जोर से फिर आवाज लगाये पर वो उसको ढूंड ना पाये,
गली में आवाजे गूंज रही मचा है सारे मोहले में शोर,
माता यशोदा दुंड रही.....
नजर पड़ी जब कान्हा पर पीछे दोडी यशोदा माई,
पकड़ लिया नन्हे नटखट को करने लगी कान्हा की पिटाई,
लगी बाँधन वो कान्हा को पर न बंधा लगा लिया जोर,
माता यशोदा दुंड रही.........
अखिर जब वो बाँध ना पाये,मंद मंद कान्हा मुश्काये
बोली यशोदा मुह खोलो तो मुह में सारा ब्रह्मांड दिखाये.
यशोदा हाथो को जोड़ खड़ी करदो माफ़ मुझे चीतचोर,
माता यशोदा दुंड रही.......