मैं भानु लली की दया चाहता हूँ
अटारी की ताजी हवा चाहता हू
भटकता रहा हूँ मैं दुनिया के दर पर,
अब चौखट पे तेरी पनाह चाहता हूँ,
के सुना है तेरा दर है ,
जन्नत का दरिया
पहुचने का शामया तुम्ही एक जरिया
यही एक तुमसे वफ़ा चाहता हूँ
मैं अटारी की ताजी हवा चाहता हूँ
के दयालू हो थोड़ी दया मुज पे कर दो
और मस्ती का प्याला मेरे दिल मे भर दो
मैं बीमार हूँ कुछ दवा चाहता हूँ
अटारी की ताजी हवा चाहता हूँ