किसे नी तेरी ज़ात पुछनी

पंक्षी वांगु उड़ जाना है इक दिन मार उडारी,
कदर ओहना दी पेनी ओथे अमल जिह्ना दे भारी,
हर शह छड़नी पेनी बंदेया जान तो जेहड़ी प्यारी,
आज तुरैया कोई कल तुर जाना सदाक वारो वारि,

ओथे अमलां दे होने ने नवेडे, किसे नी तेरी ज़ात पुछनी,
झूठे मान तेरे झूठे सब चेहरे ,किसे नी तेरी ज़ात पुछनी,

तेनू मोडा दे के तोरना जहान ने,
आउना मिट्टी थल्ले तेरी उच्ची शान ने,
सुन्ने छड्ड के तूँ तुर जाना वेहड़े,
किसे नी,,,,,,,

कोल नी रखना भैण भरावां पल विच जा दफ़नाऊना,
तुर जाना तेनू सब ने छड्ड बहुता चिर नी लाऊना,
मुक जाने सब झेड़े तेरे हेठ मिट्टी जद आऊना,
उस दिन साधक रूस्से नूँ तेनू किसे नी आउन मनाउना,
ओथे अमलां दे.......

किसे कोल घड़ी पल ना खलोना ऐ,
कीती अपनी नूँ सारेयां ने रोना ऐ,
सादक आपो आप होने ने नाखेड़े,
किसे ना तेरी,,,,
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