हे शारदे माँ ऐसा वर दे,
सुंदर स्वर माँ कंठ में भर दे,
दे दे स्वर का ज्ञान,
सदा गुण गाऊ सुबहो शाम,
साँसे सात सुरों का संगम,
रा से राग का है इक बंधन,
ग से गंध को दूर माँ करदे,
दे एसा वरदान,
सदा गुण गाऊ सुबहो शाम,
माँ मन मंदिर पावन कर दे,
पाये धरा निर्मल तू वर दे,
निश चल मन से गाये सभी जन,
तेरा ही गुण गान,
सदा गुण गाऊ सुबहो शाम,
आरती तेरी माँ जो जन गावे,
सुख सम्पति धन वेह्भव पावे,
तेरे दर से जाये ना खाली,
निर्धन हो या धन वां,
सदा गुण गाऊ सुबहो शाम,