मइया लाल चुनरिया में ,
तूने मोह लिया जग सारा,
मइया दरसन से तेरे,
अब जागा भाग हमारा,
मइया लाल चुनरिया में,
तूने मोह लिया जग सारा....
मेरे मन में बसी मइया,
तूझे हरपल मैं ध्याऊँ,
तूझे हरपल मैं ध्याऊँ,
अब छोड़ तूझे मइया,
और कहाँ जाऊँ,
अब और कहाँ जाऊँ,
मइया अपने आँचल का,
दे दो मुझे सहारा,
मइया लाल चुनरिया में ,
तूने मोह लिया जग सारा,
मइया दरसन से तेरे,
अब जागा भाग हमारा....
मइया तेरे सिवा जग में,
कुछ और ना अब चाहूँ,
कुछ और ना अब चाहूँ,
टूटी फूटी बानी से,
बस गीत तेरे गाउँ,
मैं गीत तेरे गाउँ,
जयकार से तेरे मइया,
अब गूंज उठे जग सारा,
मइया लाल चुनरिया में,
तूने मोह लिया जग सारा,
मइया दरसन से तेरे,
अब जागा भाग हमारा......
रचना: ज्योति नारायण पाठक
वाराणसी