पौणाहारी मीठा मीठा चिमटा वजा,
तेरी भगति में खो जाऊ,
दुनिया को मन से बिसराऊ,
मैं भी तेरा लाल कहाऊ
इस चिमटे की शक्ति न्यारी,
गोरख की मण्डली थी हारी,
इस लिए माने दुनिया सारी,
पौणाहारी मीठा मीठा चिमटा वजा,
चिमटा दुखो को है हरता जो चिमटे की पूजा करता,
खुशियों से वो झोली भरता,
पौणाहारी मीठा मीठा चिमटा वजा,
चिमटा नाथ के हाथ में साजे हर कोई नाचे जब ये बाजे,
बाबा दिन में आन विराजे,
जोगी मेरे सोने मीठा मीठा चिमटा वजा,
कमल किशोर कवि ये गाता राज भेटे लिखता जाता,
इस चिमटे की महिमा गाता,
पौणाहारी मीठा मीठा चिमटा वजा,