जब जब पड़ी जरुरत तेरी

(तर्ज: जिनको जिनको सेठ बनाया...)

जब  जब  पड़ी  जरुरत  तेरी ,  आया  है  तू  दौड़  के ,
सिंहासन  छोड़  के  -  सिंहासन  छोड़  के,

इस  मतलब  की  दुनिया  में ,  तेरा  एक  सहारा  है ,
उसकी  जीत  करी  तुमने ,  जो  तेरे  आगे  हारा  है ,
हारे  का  तू  साथ  निभाता ,  सारे  बंधन  तोड़  के ,
सिंहासन  छोड़  के ....

तीन  बाण  धारी  तूँ ,  कलयुग  है  अवतारी  तूँ ,
मोहन  मदन  मुरारी  तूँ , लीले  का  असवारी  तूँ ,
चरणां  माहीं  शीश  नवाऊँ ,  सांवरिया  कर  जोड़  के ,
सिंहासन  छोड़  के ....

बुरे  वक़्त  में  सांवरिया ,  तूने  साथ  निभाया  है ,
जो  नहीं  सोचा  जीवन  में ,  सब  कुछ  तुमसे  पाया  है ,
रस्ता  दिखलाता  है  बाबा ,  सारी  आफ़त  मोड़  के ,
सिंहासन  छोड़  के ....

तू  ही  करता  करने  वाला ,  सांवरिया  तेरी  आस  है ,
तेरा  हाथ  रहेगा  सर  पे ,  ये  मेरा  विश्वास  है ,
'प्रियंका'  तेरी  से  बाबा ,  रखना  नाता  जोड़  के ,
सिंहासन  छोड़  के ....
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