अजब निराली शक्ति है मां ; मां बगलामुखी के नाम में,
इच्छापूर्ण हो जाए ; मां बंगलामुखी के धाम,
जो चाहो वह मिल जाए ; मां कभी ना देर लगाए,
जो भी आऐ द्वार मईया के ; सब की आस पूजाए,
हर पल आप सहाई होती ; भक्तों के शुभ काम मै,
गुरुवार को मईया के ; दरबार पर मिले लगते हैं,
शंखनाद घड़ियाल नगाड़े ; मां के दर पर बजते हैं,
झूम रहे हैं भक्त मंदिर में ; रात और दिन सुबह शाम में,
बनखंडी पर्वत से चलकर ; आई आध भवानी ,
बंगलामुखी धाम में बैठी ; जगजननी महारानी ,
दुष्टों का नाश है करती ; उनके बुरे परिणाम में ,
पीले वस्त्र पहन पुजारी ; मां का ध्यान लगाते हैं ,
योगीराज सत्यनाथ जी ; हवन यज्ञ करवाते हैं ,
पीले वस्त्र है शोभा देते ; मां की सुंदर शाम में ,