राम राम रटते रटते

राम राम रटते रटते
तुमने पर्वत भी राई कर डाला
जलधि लाँघ गए क्षण में

जपके हरे राम की माला
पहुँच गए महावीर लंकपुरी
जाके बस हुंकार भरी
एक हूंक से काँपे सब जन
लंका नगरी तब थी डरी
देके मुद्रिका प्रभु राम की
प्रभु प्रिया को विस्मित कर डाला
जलाधि लाँघ गए क्षण में  
जपके हरे राम की माला
राम राम रटते रटते तुमने
पर्वत भी राई कर डाला

सीता जी की मांग देखी                              
जब बजरंगी ने सिंदूरी
माता तुमने क्यूँ यह तिलक सजाया
अचरज जान करो शंका पूरी
यह रंग अति प्रिय स्वामी को है
प्रसन्न होते इससे जग के कृपाला
सुनके हनुमान ने तब                                    
अपने तन को
रंग सिंदूरी में ढाला
जलाधि लाँघ गए क्षण में                              
जपके हरे राम की माला
राम राम रटते रटते
तुमने पर्वत भी राई कर डाला


राजीव त्यागी
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