जय दादी की...जय दादी की...
जय दादी की...जय दादी की...
डंका जग की महारानी का
बजता मोटी सेठानी का
झुंझनू जैसा धाम नही
है सबकी जुबां पे नाम यही
माँ झुंझन वाली,बड़ी भोली भाली
अपने भगतों की करती रखवाली
भगतों को आधार तेरा
साँचा है दरबार तेरा
सारा ही जग जान गया
तू सतियों की सिरमौर
ममता की भण्डार है तू
जग की पालनहार है तू
हो नही सकता माँ तेरे जैसा कोई और
चन्द्र टले सूरज टल जाए
सतियों का सत डिग नही पाये
माँ झुंझन वाली की महिमा ब्रह्मा-विष्णु गाएं
कहते वेद-पुराण यही
है सबकी जुबां पे नाम यही
माँ झुंझन वाली,बड़ी भोली भाली
अपने भगतों की करती रखवाली
सौरभ-मधुकर सोचे क्या
भादो की तू टिकट कटा
चल के झुंझनू धोक लगा
सारा संकट काट जायेगा
मौका फिर से आया है
दादी ने बुलाया है
तू समझ ना पाया है
तो बाद में पछतायेगा
करले झुंझनू की तैयारी
छोड़ के सारी दुनियादारी
भादि मावस के मेले की चर्चा है भई भारी
बनते बिगड़े काम यहीं
है सबकी जुबां पे नाम यही
माँ झुंझन वाली,बड़ी भोली भाली
अपने भगतों की करती रखवाली
गीतकार - सौरभ मधुकर
संपर्क - 09830608619