क्या वैकुण्ठ क्या स्वर्ग का करना मुझको जान से प्यारा,
खाटू धाम हमारा,
खाटू की धरती पावन यहाँ बाबा का है बसेरा,
मेरा तो स्वर्ग वही पे यह श्याम धनि का डेरा,
इस से सूंदर कुछ भी नहीं है देख लिया जग सारा,
खाटू धाम हमारा
जिसने खाटू देखा है वो स्वर्ग न जाना चाहे,
है धाम वो सबसे प्यारा यह ये दरबार लगाये,
भगतो की खातिर बाबा ने धरती पे स्वर्ग उतारा,
खाटू धाम हमारा
मौका मिले जो तो इक बार तुम खाटू जाके आओ,
क्या मैंने झूठ कहा था आकर के मुझ बताओ,
कहे पवन के जाना पड़े गा मिलने इनसे दोबारा,
खाटू धाम हमारा