साई जब जब भी मुझको ये जीवन मिले

साई जब जब भी मुझको ये जीवन मिले,
मैं सदा ही तेरे गुण गाता रहु,
इक जन्म भी न तुमसे अशुटा रहु,
हर जनम में तुझको ही पाता रहु,
साई जब जब भी मुझको ये जीवन मिले,

तू है दाता मैं विकशुक सदा हु तेरा,
कितने जन्मो का नाता है तेरा मेरा,
छोड़ू गा न मैं तुझको न ही दर तेरा,
छोड़ के सारी दुनिया मैं आया इधर,
हर घडी मैं तेरा ही अब चिंतन करू,
साई जब जब भी मुझको ये जीवन मिले,

प्रेम भक्ति का बंधन है तुझसे जुड़ा,
अपनी करुणा का अमृत पिला दो थोड़ा,
दुःख न कोई कटे गा जो तूने छोड़ा,
ज़िंदगी का कोई भरोसा नहीं,
तेरी महिमा का गुण गान करता रहु,
साई जब जब भी मुझको ये जीवन मिले,

तेरे इक ही इशारे से दुनिया चले लेलो मुझको भी ममता के छाव तले
ता की  संसार मेरा भी फुले फ्ले,
साई करता हु तुमसे मैं विनती यही,
दुःख हो सुख हो तुम्हरा ही सुमिरन करू,
साई जब जब भी मुझको ये जीवन मिले,
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