वो जो बैठे है शिरडी में डेरा डाल के,
है कमाल के है कमाल के,
शिरडी है इक स्वर्ग नगरियां,
मस्ती है याहा द्वारका मइयाँ
साई बैठे फकीरी का वेश डाल के,
है कमाल के है कमाल के,
नीम की ठंडी मीठी छाया,
यहाँ बना गुरु स्थान तुम्हरा,
याहा जलवे दिखाते अपने जमाल के,
है कमाल के है कमाल के,
जगमग करती साई की धुनि,
मंगल करती हर अन होनी,
काट देते है वो बंध मोह माया चाल के,
है कमाल के है कमाल के,